Tuesday, October 03, 2006

Muaaah !

In recent Hindi Movies, with a declining interest in dialogues that outlive the characters, seldom are lines as well scripted as the ones below from Lage Raho MunnaBhai !
Delivered by Vidya Balan, 'apun jab bhi yeh line sunta hai na, to apun ke mooh pe mast smile aa jati hai'.


"Good Morning ...... Mumbai !
This is Janhavi on World Space Radio
जाने से पहले, ये है मेरा आज का ख्याल
उन सबके लिये, जो दौड़े जा रहे हैं इस शहर की दौड़ में
शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?
अगर यही जीना है दोस्तों, तो फिर मरना क्या है?
पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फिक्र है, भूल गए भीगते हुए टहलना क्या है?
सीरियल के किरदारों का सारा हाल है मालूम, पर माँ का हाल पूछने की फुरसत कहाँ है?
आप रेत में नंगे पाँव टहलते क्यूँ नहीँ?
एक सौ आठ हैं चैनल पर दिल बहलते क्यूँ नहीँ?
इंटरनेट पे दुनिया से तो टच में हैं, लेकिन पड़ोस में कौन रहता है जानते तक नहीँ!
मोबाइल, लैंडलाइन सब की भरमार है, लेकिन जिगरी दोस्त तक पहुँचे, ऐसा तार कहाँ है?
कब डूबते हुए सूरज को देखा था, याद है?
कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?
तो दोस्तों, शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?
अगर यही जीना है दोस्तों, तो फिर मरना क्या है?"


haan , and btw: Thanks to boss for the unicoding the text, and Sangram for the English version! :P

2 comments:

The Reader said...

hi
u r also named shantanu r.gangal
my name is SHANTANU RAGHAV GANGAL. my hometown is aligarh,cud we be related????

Anonymous said...

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